प्लास्टिक खत्म करने की कारगर पहल

 





प्लास्टिक खत्म करने की कारगर पहल


उज्जैन( राधेश्याम मालवीय) पर्यावरण और आम जिंदगी के लिए घातक साबित हो रहे प्रतिबंधित पॉलीथिन के डिस्पोजल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल शादी समारोह से लेकर सगाई व अन्य सार्वजनिक कार्यक्रमों के दौरान अधिक होता है। यूज एंड थ्रो के तौर पर इस्तेमाल होने वाले इन प्लास्टिक डिस्पोजल का बाद में सही निपटान नहीं होने से यह पर्यावरण के लिए नुकसानदायक बन जाते हैं प्लास्टिक के डिस्पोजल से होने वाले इसी नुकसान को देखते हुए अब कई स्थानों पर आम लोगों में जागरूकता आने लगी है कई स्थानों पर स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाने लगा है सामाजिक संगठन भी इनसे सबक लेकर स्टील के बर्तनाें का इस्तेमाल कर पर्यावरण संरक्षण में भागीदार बनने लगे हैं ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब उसकी शुरुआत होने लगी है इसका नजारा जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर तराना तहसील के अंतर्गत  आने वाले ढाबला हरदू व रूपा खेड़ी के मध्य स्थित परसोली गांव में देखने को मिला यहां के लोगों ने सर्वप्रथम ग्राम विकास समिति गठित की समिति में सभी वर्ग व धर्मों के लोगों को सम्मिलित किया जिसके पश्चात प्रत्येक घर से एक एक स्टील का गिलास एकत्रित किया जाना सुनिश्चित किया गया इस प्रकार एकत्रित होने वाले स्टील के  गिलासों को समिति केे अध्यक्ष या अन्य पदाधिकारी के घर सहेज कर रखनेेे का निर्णय लिया अब गांव में जहां कहीं भी सगाई सेेेे लेकर शादी समारोह नोक्ता व अन्य सार्वजनिक कार्यक्रम होता है उसमें इन्हींं गिलासों को उपयोग में लिया जाना निर्धारित किया गया एक छोटे से गांव शुरू होने वाली इस पहल को ग्राम विकास समिति के सदस्य राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने का लक्ष्य बना रहे हैं इसके पूर्व ईन्होंंने तय किया की एक माह के दौरान इसे आसपास के 42 गांव मैं तो  शुरू किया ही जाए 

 


600 घरों से एकत्रित किए गए गिलास

 

ग्राम विकास समिति के सदस्यों से प्राप्त जानकारी के अनुसार लगभग अट्ठारह सौ लोगों की आबादी युक्त गांव में 1100 के करीब मतदाता है वही इस गांव में 600 के लगभग परिवार निवासरत इन सभी परिवारों से एक एक स्टील का गिलास लिया गया इस मुहिम में सभी वर्ग के लोगों की भागीदारी रही

 

सगाई के कार्यक्रम से किया श्री गणेश

 

पर्यावरण के प्रति सजगता दिखाने वाले गांव के लोगों में इस पहल रेल की शुरुआत सगाई के कार्यक्रम से की गत दिनों योगेंद्र चौहान के बालक आदित्य चौहान की सगाई का कार्यक्रम गांव में हुआ था सगाई में आने वाले मेहमानों को डिस्पोजल ग्लास की बजाय स्टील केेे गिलास में पानी पिलाया गया

 

इन कारणों की वजह से अधिक होता है उपयोग

 

प्लास्टिक के डिस्पोजल का अधिक इस्तेमाल यूज एंड थ्रो होने के कारण होता है इन का उपयोग  पुनः नहीं होता है  जिसके कारण यह या तो  नाली  मैं फेंक दिए जाते हैं या कचरे के रूप में जला दिए जाते हैं दोनों ही स्थितियों में डिस्पोजल पर्यावरण के लिए  खतरा ही साबित होते हैं इसके खतरों से अनजान लोग यूज एंड थ्रो  होने के कारण  ही अपने यहां होने वाले कार्यक्रमों में इसका उपयोग बहुतायत से करते हैं इसके अलावा इनके इस्तेमाल के दौरान मजदूर की आवश्यकता भी नहीं होती है

 

मजदूर की व्यवस्था इस प्रकार रहेगी

 

उपयोग के पश्चात फेंक दिए जाने के कारण सफाई के लिए अतिरिक्त मजदूर की आवश्यकता भी नहीं होती है ग्राम विकास समिति में इसका हल भी ढूंढा है समिति के सदस्यों के अनुसार जो राशि प्लास्टिक डिस्पोजल खरीदने में की जाती थी उसी राशि में अब एक सफाई कर्मी को सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान रखा जाएगा जो स्टील गिलास को साफ करें इससे कार्यक्रम करने वाले पर अतिरिक्त आर्थिक भार भी नहीं पड़ेगा और पर्यावरण का संरक्षण भी हो जाएगा