पत्रकार नागू वर्मा घोंसला उज्जैन से
उज्जैन (चौपाल समाचार) घोंसला मैं ग्रामीण बैंक की शाखा में कार्यरत कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने भारत सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा कोरोना की आड़ लेकर किए जा रहे श्रम कानूनों में परिवर्तनों के विरोध में आज काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया।
यहां यह उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार श्रम कानूनों को समाप्त कर श्रम संहिता बनाने जा रही है जो श्रमिक वर्ग के अधिकारों को कम कर उद्योग पतियों के अधिकारों को बढ़ाने के मकसद से किया जा रहा है। वहीं कुछ राज्य सरकारें मजदूरों के लिए निर्धारित कार्य के घंटों को 8:00 के स्थान पर 12:00 करने का प्रस्ताव कर अमानवीय पहल करने जा रही है। केंद्र सरकार ने श्रमिकों के हितों की परवाह किए बगैर रक्षा क्षेत्र सहित कई अन्य क्षेत्रों में निजीकरण करने की घोषणा कोरोना पैकेज की आड़ में कर दी है। लॉक डाउन की घोषणा के पहले दिहाड़ी मजदूरों के लिए समुचित व्यवस्था न करके उन्हें भूखों मरने की नौबत तक ला दिया गया है। उन मजदूरों को पैदल ही हजारों किलोमीटर यात्रा करने पर मजबूर किया गया। सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों एवं पेंशनरों को महंगाई भत्ता नहीं देने का निर्णय कर सरकार ने कोरोना संकट में सरकारी कर्मचारियों द्वारा दिये गए सहयोग को भी भुला दिया। कोरोना की ओट में बिजली वितरण, हवाई अड्डे,रक्षा उत्पादन, परमाणु तथा अंतरिक्ष अनुसंधान जैसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों को निजी हाथों में देने की घोषणा सरकार द्वारा की गई है। सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के विरोध में आज देश के 10 बड़े केंद्रीय श्रम संगठनों के पदाधिकारियों ने नई दिल्ली में गांधी जी की समाधि के समक्ष उपवास किया तथा सरकार की नीतियों का विरोध किया। उन्ही संगठनों के आव्हान पर देश के सभी विभागों कार्यालयों के
कर्मचारियों एवं दिहाड़ी मजदूरों ने काली पट्टी बांधकर सरकार की श्रम विरोधी नीतियों का विरोध कर यह बता दिया की सरकार मजदूरों के साथ अन्याय करने से बाज आए अन्यथा सरकार के खिलाफ जन आंदोलन खड़ा किया जाएगा प्रदेश अध्यक्ष अजय तिवारी .नरेंद्र नागर.शेरसिंह मौर्य.विनय गंगराड़े.दुर्गाशंकर देवड़ा .देवलाल मीणा.
यह जानकारी मैनेजर दुर्गाशंकर देवड़ा द्वारा दी गई