किसानों का संपूर्ण कर्जा मुक्ति अभियान आज शाम 4:00 बजे ट्विटर पर होगा ट्रेंड

दिल्ली | इस समय देश कोरोना वायरस जैसी गंभीर महामारी से लड़ रहा है तथा इस लड़ाई में देश का किसान अग्रिम मोर्चे पर खड़ा है क्योंकि उन्हीं की बदौलत देश में खाद्यान्न का भरपूर भंडार है जिस कारण केंद्र के साथ ही राज्य सरकारें आम आदमी को खाद्यान्न मुफ्त या फिर सस्ती दर पर आवंटन कर पा रही हैं। केंद्र सरकार देश के उद्योगपतियों का तो कर्जा माफ कर रही है, लेकिन किसानों को कोई राहत नहीं दी जा रही है, इसलिए देशभर के किसान मिलकर आज शाम चार बजे आनलाइन ट्विटर पर किसान कर्जा मुक्ति मुहिम चलायेंगे।


देशभर के 250 से ज्यादा किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण देशभर में लॉकडाउन चल रहा है, लेकिन देश का किसान इस मुश्किल समय में भी खेत में जुटा हुआ है, ताकि कोई भूखा न रह जाए। लॉकडाउन के कारण किसानों की सब्जियां नहीं बिक पा रही है, कंपनियां दूध नहीं खरीद रही है, फलों की बिक्री नहीं हो रही है, जिससे उन्हें भारी आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मार्च और अप्रैल में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से भी किसानों को भारी नुकसान हुआ है।


केंद्र सरकार उद्योगपतियों का ऋण माफ कर सकती है, तो किसानों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों?


उन्होंने कहा कि हम किसानों की कर्जा मुक्ति की मांग केंद्र सरकार से लंबे समय से कर रहे हैं, तथा कोरोना वायरस की वजह से इस मुद्दे को इस समय हम उठाना भी नहीं चालते थे, लेकिन किसान कोरोना वायरस से लड़कर देश के लिए अन्न पैदा कर रहा है, जबकि इस समय देश के उद्योगपति अपने घरों में बैठे हुए हैं। इसके बावजूद भी केंद्र सरकार ने उद्योगपतियों का 66,607 करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया है। अत: जब केंद्र सरकार उद्योगपतियों का ऋण माफ कर सकती है, तो किसानों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों कर रही है? इसलिए सरकार से मांग करने के लिए देशभर के किसान आज शाम को चार बचे आन लाइन होकर प्रधानमंत्री से मांग करेंगे कि देश के किसानों को संपूर्ण कर्जा मुक्ति दी जाए।


न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे भाव पर खरीद करने वाले पर जुर्माना और दंड का प्रावधान हो


उन्होंने कहा कि संपूर्ण कर्जा मुक्ति के अलावा किसानों की अन्य प्रमुख मांगों में लागत के आधार पर फसल के दाम तय करना, साथ ही मंडी में न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे भाव पर खरीद करने वाले पर जुर्माना और दंड का प्रावधान हो। उन्होंने कहा कि जब किसान डीजल, खाद एवं बीज तथा कीटनाशकों की खरीद सरकार द्वारा तय भाव पर करता है, तो उसे अपनी फसल बेचने का अधिकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मिलना चाहिए।


(आउटलुक पत्रिका से साभार)