उज्जैन। भारत के संविधान में अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के साथ सामाजिक न्याय किए जाने के उद्देश्य से आरक्षण का प्रावधान संविधान में निर्धारित किया गया है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किए गए निर्णय से आरक्षण की मूल भावना प्रभावित हो रही है। जिससे अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग, मौलिक अधिकार से वंचित हो रहा है। वर्तमान परिस्थितियों में संविधान के मूल के आरक्षण के साथ कटौती करने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे अनुसूचित जाति-जनजाति वर्गों में अन्याय के कारण रोष व्याप्त है। अनुसूचित जाति-जनजाति के संवैधानिक मूल आरक्षण की समीक्षा से मुक्त करने के लिए संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल करने की कार्यवाही करने का कष्ट करें। अखिल भारतीय बलाई महासंघ, उज्जैन अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के हित में संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल करने की माँग करता है। इसे लेकर कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा गया। इस दौरान अखिल भारतीय बलाई महासंघ के प्रदेश उपाध्यक्ष हजारीलाल मालवीय, रमेश सिरोजा, महेश परमार, विनोद मालवीय, सुभाष गेहलोत, टी.के. मालवीय, जगमोहन मालवीय, सतीश मालवीय, विजय परमार, हरीशसिंह गुड़पलिया आदि उपस्थित थे। इस दौरान अजाक्स के सदस्य महेश बिटोरिया, हीरालाल सूर्यवंशी, डॉ. रतनलाल परमार, जगन्नाथ बागड़ी, डी.एल. मिलवाड़ा, अविनाश गुजराती आदि उपस्थित थे।
अजा-अजजा वर्ग का आरक्षण संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल करने को लेकर ज्ञापन सौंपा