मातृशक्ति ने पौधारोपण किया

उज्जैन (नागू वर्मा )रतलाम मैं नारी शक्ति ब्रज भूमि फाउंडेशन के संस्थापक श्री अश्विनीकुमार, मेंटर श्री मती हेमामालिनी जी ने स्वच्छता अभियान के तहत प्रकृति को स्वच्छ बनाने के अंतर्गत एक पौधा मातृशक्ति के नाम पूरे भारत में लगाया जा रहा है मध्य प्रदेश प्रेसिडेंट साजिया शेख के द्वारा पूरे प्रदेश में इस मुहिम को चलाया जा रहा है नीमच प्रेसिडेंट शबाना खान द्वारा नीमच और रतलाम में 61 पौधे मातृशक्ति को प्रेरित कर मातृशक्ति के नाम लगाए गए शबाना खान ने बताया की यह मुहिम नारी शक्ति को प्रणाम ब्रजभूमि फाउंडेशन के अंतर्गत फाउंडेशन के संस्थापक अश्विनी कुमार मेंटर हेमा मालिनी जी के मार्गदर्शन में पूरे भारत में चलाई जा रही है .नीमच प्रेसिडेंट शबाना खान ने बताया कि जब से दुनिया शुरू हुई है, तभी से इंसान और क़ुदरत के बीच गहरा रिश्ता रहा है। पेड़ों से पेट भरने के लिए फल-सब्ज़ियां और अनाज मिला। तन ढकने के लिए कपड़ा मिला। घर के लिए लकड़ी मिली। इनसे जीवनदायिनी ऑक्सीज़न भी मिलती है, जिसके बिना कोई एक पल भी ज़िन्दा नहीं रह सकता। इनसे औषधियां मिलती हैं। पेड़ इंसान की ज़रूरत हैं, उसके जीवन का आधार हैं। अमूमन सभी मज़हबों में पर्यावरण संरक्षण पर ज़ोर दिया गया है। भारतीय समाज में आदिकाल से ही पर्यावरण संरक्षण को महत्व दिया गया है। भारतीय संस्कृति में पेड़-पौधों को पूजा जाता है। विभिन्न वृक्षों में विभिन्न देवताओं का वास माना जाता है। पीपल, विष्णु और कृष्ण का, वट का वृक्ष ब्रह्मा, विष्णु और कुबेर का माना जाता है, जबकि तुलसी का पौधा लक्ष्मी और विष्णु, सोम चंद्रमा का, बेल शिव का, अशोक इंद्र का, आम लक्ष्मी का, कदंब कृष्ण का, नीम शीतला और मंसा का, पलाश ब्रह्मा और गंधर्व का, गूलर विष्णू रूद्र का और तमाल कृष्ण का माना जाता है। इसके अलावा अनेक पौधे ऐसे हैं, जो पूजा-पाठ में काम आते हैं,  साजिया शेख मध्य प्रदेश प्रेसिडेंट ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण को महत्व देते हैं। वे मानते हैं- पर्यावरण का संरक्षण ही हमारा जीवन है, चाहे हम विश्वास करें या न करें, पर्यावरणीय संकट हमारे जीवन के सभी क्षेत्र, हमारे सामाजिक स्वास्थ्य, हमारे संबंध, हमारे आचरण, अर्थव्यवस्था, राजनीति, हमारी संस्कृति और हमारे भविष्य को प्रभावित करता है। प्रकृति का संरक्षण ही हमारी प्राणमयी ऊर्जा है।. तस्लीम खान ने बताया कि किसानों का पर्यावरण से गहरा नाता रहा है। वे बढ़ते पर्यावरण असंतुलन पर चिंता ज़ाहिर करते हुए जहां जैविक खेती को अपना रहे हैं, वहीं कृषि वानिकी पर भी ख़ासा ध्यान दे रहे हैं। दरअसल कृषि वानिकी को अपना कर कुछ हद तक पर्यावरण संतुलन को बेहतर बनाया जा सकता है। फ़सलों के साथ वृक्ष लगाने को कृषि वानिकी के नाम से जाना जाता है।. पिंकी गहलोत ने बताया कि खेतों की मेढ़ों पर वृक्ष लगाए जाते हैं। इसके अलावा गांव की शामिलात भूमि, परती भूमि और ऐसी भूमि, जिस पर कृषि नहीं की जा रही हैं, वहां भी उपयोगी वृक्ष लगाकर पर्यावरण को हरा-भरा बनाया जा रहा है। पशुओं के बड़े-बड़े बाड़ों के चारों ओर भी वृक्ष लगाए जा रहे हैं। कृषि वानिकी के तहत ऐसे वृक्ष लगाने चाहिए, जो ईंधन के लिए लकड़ी और खाने के लिए फल दे सकें। जिनसे पशुओं के लिए चारा और खेती के औज़ारों के लिए अच्छी लकड़ी भी मिल सके। इस बात का भी ख़्याल रखना चाहिए . किरण माहेश्वरी ने बताया कि वृक्ष ऐसे हों, जल्दी उगें और उनका झाड़ भी अच्छा बन सके। बबूल, शीशम, नीम, रोहिड़ा, ढाक, बांस, महुआ, जामुन, कटहल, इमली, शहतूत, अर्जुन, खेजड़ी, अशोक, पोपलर, सागौन और देसी फलों आदि के वृक्ष लगाए जा सकते हैं. .जितेंद्र राव ने बताया कि पौधारोपण की मुहिम चला कर इस पुनीत कार्य में हिस्सेदार बन रहे हैं। लोग अब अपने किसी ख़ास दिन को यादगार बनाने के लिए पौधे लगा रहे हैं। कोई पौधारोपण कर अपना जन्मदिन मना रहा है, तो कोई अपनी शादी की सालगिरह पर पौधा रोप रहा है। इतना ही नहीं, लोग अपने प्रिय नेता और अभिनेता के जन्मदिन और बरसी पर भी पौधारोपण कर वातावरण को हराभरा बनाने के काम में लगे हैं। बेशक पौधे लगाना नेक काम है। लेकिन सिर्फ़ पौधा लगाना ही काफ़ी नहीं है। पौधे की समुचित देखभाल भी की जानी चाहिए, ताकि वे वृक्ष बन सकें।. इस अवसर पर शबाना खान जितेंद्र राव पिंकी गहलोत सोनू नेका कृष्णा प्रजापत शिवानी कौशल खुर्शीदखान , किरण माहेश्वरी मौजूद रही